धोखाधड़ी: पूर्व बार अध्यक्ष के पुत्र की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

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मथुरा। बार एसोसिएशन मथुरा के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रमुख शिक्षाविद् के संपत्ति के विवाद में हुई एफआईआर में एक आरोपी को न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। आरोपी द्वारा लगाई गई अग्रिम जमानत याचिका को गत दिवस खारिज कर दिया गया। जिसके बाद पुलिस पर अब आरोपी की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ गया है।

बता दें कि मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं श्री गिर्राज महाराज लॉ कालेज सहित कई अन्य शिक्षण संस्थानों के चेयरमैन गोपाल प्रसाद शुक्ला, उनके पुत्र आदित्य शुक्ला एवं उनके दो साथियों के खिलाफ उनकी ही सगी भतीजी ललिता शर्मा पुत्री स्व. मुरलीधर शुक्ला ने थाना छाता में मुकदमा दर्ज कराया था। वादी ललिता शर्मा के अनुसार, उनके पिता मुरलीधर शुक्ला ने कोई जैविक पुत्र न होने के कारण अपनी सारी संपत्ति 9 दिसंबर 2020 को हम तीनों बहनों के नाम की थी। 19 मार्च 2021 को उनकी मृत्यु हो गई।

जिसके बाद गोपाल प्रसाद शुक्ला, उनकी पत्नी बृजबाला शुक्ला और उनके पुत्रों आदित्य शुक्ला एवं आशुतोष शुक्ला एडवोकेट ने हमारी संपत्तियों को हड़पने के उद्देश्य से आदित्य शुक्ला एड. को हमारे पिता का दत्तक पुत्र दर्शाते हुए प्रशासन एवं पुलिस के सहयोग से हमारी खेती और फसल पर कब्जा कर लिया है। कुर्की के गैरकानूनी आदेश करा कर हमारी सरसों की फसल को घर से कुर्क कराया गया।

इसके साथ ही वसीयत को विवादित बनाने के लिए एक निजी हॉस्पिटल का फर्जी रिकार्ड बना लिया कि वसीयत रजिस्टर्ड होने के दिन हमारे पिता मुरलीधर अस्पताल में भर्ती थे। इसी रिकार्ड के आधार पर दीवानी में वसीयत कैंसिल कराने का दावा डाल दिया गया। जबकि वसीयत बनाए जाने के दौरान मुरलीधर छाता तहसील में मौजूद थे। जहां कार्यवाही के दौरान बायोमीट्रिक पर उनकी अंगूठा निशानी ली गई एवं फोटो लिए गए। उन्होंने न्यायालय की विभिन्न कार्यवाहियों के दौरान भी हस्ताक्षर किए व अंगूठा लगाए।

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इसके साथ ही जिन 2 गवाहों ने वसीयतनामा पर गवाही दी थी। उन्हें भी भ्रमित कर शपथ पत्र ले लिए गए कि उन्होंने कोई गवाही नहीं दी। जबकि रामवीर ने 13 जून 2021 को गांव सेही में हुई पंचायत के समक्ष स्वीकार किया था कि उनसे धोखाधड़ी कर फर्जी शपथ पत्र ले लिया गया है। वहीं दूसरे गवाह जीतपाल सिंह ने भी यह स्वीकार किया कि वसीयतनाम एवं उनकी गवाही सही है। उनसे धोखे एवं प्रलोभन देकर फर्जी शपथ पत्र तैयार कराया गया है। उक्त दोनों की स्वीकारोक्ति का वीडियो भी बना हुआ है। इसके बाद भी दोनों ने वादी के पक्ष में गवाही देने के एवज में 5-5 लाख रूपए की मांग की।

इसके साथ ही पीड़िता ने सिटी हॉस्पिटल पर भी एफआईआर में आरोप लगाया है कि वहां के एक व्यक्ति ने स्वयं को निदेशक बताते हुए उनसे कोर्ट में झूठी डिस्चार्ज स्लिप होने की गवाही देने की एवज में 2 लाख रूपए से अधिक धनराशि की मांग की। 14 जनवरी 2022 को धारा 420, 467, 468, 471 एवं 120-बी के तहत यह मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें गोपाल प्रसाद शुक्ला, आदित्य शुक्ला, रामवीर एवं जीतपाल सिंह को नामजद किया गया था।

इसी दर्ज मुकदमे में आरोपी आदित्य शुक्ला ने अपर सत्र न्यायाधीश जिला न्यायालय संख्या 1 मथुरा में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। जिसे गत दिवस न्यायाधीश द्वारा खारिज कर दिया गया। जिसके बाद अब पुलिस पर आदित्य शुक्ला को जल्द गिरफ्तार करने के लिए दबाव बनने लगा है। वहीं आरोपियों द्वारा अभी भी अपने बचाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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पीड़िता ललिता शर्मा द्वारा विषबाण को उपलब्ध कराए गए साक्ष्य एवं वसीयतनामे के अनुसार स्व. मुरलीधर शुक्ला ने लिखे अपने वसीयत नामे में कहा है कि उन्होंने गोपाल प्रसाद शुक्ला के पुत्र आदित्य शुक्ला को करीब 27 वर्ष पूर्व दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया था लेकिन गोद लेने के बाद से वसीयत नामे तक वह न तो एक भी दिन मेरे पास रहा है और न ही मेरी अथवा मेरी पत्नी की सेवा की है।

आदित्य शुक्ला अपने पिता के साथ ही रहता है और उसकी शादी भी हो चुकी है एवं 2 बच्चे भी हैं। आदित्य के बच्चे अथवा पत्नी कभी भी हमारे पास नहीं रहे हैं। अतः मेरी संपत्ति पर उसका दावा अमान्य माना जाएगा। मेरी पांच पुत्रियां हैं और पांचों पुत्रियां बच्चों सहित अपने घर पर आबाद हैं जो कि मेरी सेवा करती हैं। इसमें भी मुख्य तौर पर ललिता शर्मा ने मेरी पत्नी और मेरी सेवा की है। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति पांचों पुत्रियों के नाम की है। यह वसीयत नामा 9 दिसंबर 2020 को रजिस्टर्ड हुआ था।