खेतों में पराली जलाई तो लगेगा हजारों का जुर्माना, सैटेलाइट फोटो खोल सकते हैं किसानों की पोल

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खेतों में जलते हुए फसल अवशेष (पराली)। ( फोटो इंटरनेट से लिया गया है)

मथुरा। यदि किसानों ने अब खेतों में पराली जलाई तो उन्हें इसके लिए हजारों का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके लिए उप कृषि निदेशक मथुरा ने सभी किसान भाईयों को आगाह करते हुए चेतावनी दी है। सैटेलाइट से लिए गए फोटो चुपके से पराली जलाने का भ्रम पालने वाले किसानों की पोल खोल सकते हैं।

उप कृषि निदेशक अश्विनी कुमार सिंह ने जनपद के समस्त किसानों को आगाह किया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाना अपराध घोषित किया गया है तथा फसल अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर निम्नानुसार कार्यवाही का प्राविधान है। बताया कि फसल अवशेष जलाने के लिए कृषि भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदंड रूपए 2500 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से अधिक किंतु 5 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदंड 5000 रूपए प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्र 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदंड रूपए 15000 प्रति घटना का जुर्माना लगाया जाएगा।

श्री सिंह ने कहा कि कुछ किसान भाई इस भ्रम में रहते हैं कि रात्रि में या सुबह 2-3 बजे पराली/फसल अवशेष में आग जलाने पर किसी को पता नहीं चलेगा। इस विषय में अवगत कराना है कि पराली/फसल अवशेष जलाने की सूचना उपग्रह द्वारा 24 घंटे रीयल टाइम फोटो सहित प्रेषित की जाती है, इसलिए कोई सम्भावना नहीं है कि पराली/फसल अवशेष जलाने की घटना को छुपाया जा सके। प्रत्येक घटना के सटीक अक्षान्तर, देशान्तर उपग्रह इमेज के द्वारा सम्बन्धित जिला प्रशासन को कार्यवाही हेतु उसी दिन उपलब्ध करा दिये जाते हैं जिस पर उच्चतम न्यायालय एवं एनजीटी के निर्देशों के क्रम में तत्काल कार्यवाही किया जाना प्रशासन का दायित्व होता है।

श्री सिंह ने किसानों से अनुरोध किया है कि किसी भी फसल के अवशेष को खेतों में न जलाएं, बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादक अवशेषों को मृदा में मिलाएं और उसे सड़ाएं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन का एसएमएस (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) के बिना प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। अतः कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन का उपयोग भी नियमानुसार ही किया जाए। ताकि किसानों को किसी भी प्रकार का नुकसान न उठाना पड़े।