नयति-केडी मेडिकल कालेज के खिलाफ एफआईआर, क्या पीड़ित अफसरों को मिल सकेगा न्याय?

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मथुरा। कोरोना लॉकडाउन में जनपद के प्रमुख हॉस्पिटल नयति सुपर मेडिसिटी एवं केडी मेडिकल कालेज की लापरवाही, मनमानी एवं अवैध वसूली के चलते मरीजों की मौत होने के बाद जहां पीड़ित आम आदमी न्याय के लिए दर दर भटक रहा है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम मथुरा-वृंदावन के सहायक नगर आयुक्त पीसीएस और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में तैनात सीएमओ भी अपने पिता की मौत उपरोक्त हॉस्पिटलों को जिम्मेदार मानते हुए अफसरों से लेकर न्यायालय तक चक्कर काटने पर मजबूर हैं। जिसमें सहायक नगर आयुक्त द्वारा जहां न्यायालय के आदेश पर केडी मेडिकल कालेज के प्रबंधक सहित दर्जनों डॉक्टर और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं दूसरी तरफ सीएमओ के पिता की मौत के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मथुरा सीएमओ को नयति सुपर मेडिसिटी के खिलाफ जांच के आदेश के बाद भी पीड़ित सीएमओ को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है। जिससे वह भी न्यायालय की शरण लेने पर मजबूर हो सकती हैं।

आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित जनपद का सबसे बड़ा माना जाने वाला नयति सुपर मेडिसिटी जहां महंगे इलाज के लिए चर्चित रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना काल के दौरान मरीजों से मनमानी वसूली, लापरवाही के चलते मरीजों की मौत के भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं। जिसमें मृतकों के परिजनों द्वारा शिकायत दर शिकायतें की गईं लेकिन नयति के खिलाफ प्रशासन न कोई सख्त कार्यवाही कर पाया और न ही पीड़ितों को न्याय दिला सका। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय दिल्ली की ओर से प्रतिनियुक्ति पर वर्तमान में अलीगढ़ में कार्यरत सीएमओ डॉ. नताशा वर्मा हाल निवासी अशोका सिटी गोवर्धन चौराहा मथुरा के पीडब्लूडी में चीफ इंजीनियर पद से से सेवानिवृत्त पिता केएल वर्मा को कोरोना होने के चलते अलीगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां वो ठीक हो गए। इसके बाद डॉ.नताशा ने अपने पिता को नयति हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। जहां उनसे 2.75 लाख रुपए जमा भी कराए गए। सीएमओ का आरोप है कि 2.75 लाख रूपए जमा कराने के बाद और अधिक पैसा वसूलने के लिए मरीज को प्रताड़ित किया गया। आरोप था कि नयति अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके पिता को चार दिन तक खाना नहीं दिया। उन्हें प्यासा रखा गया। आवश्यकता से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन दी गई। इसके चलते ही उनके पिता की अस्पताल में मौत हो गई। जबकि वह काफी हद तक सही हो गए थे लेकिन अस्पताल को उनसे अधिक रूपए वसूलने थे। उन्होंने बताया कि खाना.पानी न देने की शिकायत जब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से की तो डॉक्टरों द्वारा उनके मरीज को देख लेने की धमकी भी दी गई थी।

केंद्र सरकार में सीएमओ के रूप में कार्यरत पीड़िता डाॅ. नताशा।

इस मामले की शिकायत सीएमओ डॉ. नताशा की मां बी वर्मा ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की थी लेकिन उस जांच रिपोर्ट में नयति अस्पताल प्रबंधन ने षडयंत्र करते हुए फर्जीवाड़ा और हेरफेर कर मामले को दबा दिया। इसके बाद पीएम कार्यालय में शिकायत की गई। पीएमओ से मथुरा सीएमओ को जांच के आदेश दिए गए। सीएमओ मथुरा ने 10 अगस्त को ग्रीवेंस कमेटी को शिकायत में जांच कर रिपोर्ट तलब की है। ग्रीवेंस कमेटी में जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. लाल सिंह एवं एडीएम वित्त/राजस्व शामिल हैं। सीएमओ डॉ. नताशा वर्मा ने न्याय न मिलने पर विषबाण न्यूज से बातचीत में कहा कि प्रशासन नयति अस्पताल के प्रबंधन को बचाने के प्रयास में जुटा है। यदि उन्हें इस बार भी न्याय नहीं मिला तो वह न्यायालय के माध्यम से दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने पर मजबूर होंगी। जबकि दूसरी तरफ बिजली बकाए के चलते नयति अस्पताल की बिजली काटी जा चुकी है और अस्पताल पर ताले लग चुके हैं। वहीं 8 माह से वेतन न मिलने से परेशान होकर एक एकाउंटेंट संतोष कुमार पुंडीर द्वारा हाल ही में आत्महत्या भी की जा चुकी है। इस मामले में थाना हाईवे में नयति अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर भी हो चुकी है।

केडी मेडिकल कालेज के संचालक रामकिशोर अग्रवाल को सम्मानित करते हुए कैबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण।

इसी तरह हाइवे पर ही स्थित जनपद के प्रमुख केडी मेडिकल कालेज का भी विवादों से चोली दामन का साथ रहा है। कोरोना काल में मरीजों की मौत के बाद अनेक पीड़ितों ने शासन प्रशासन से शिकायत कर अवैध वसूली के आरोप लगाए थे जिसमें मथुरा-वृंदावन नगर निगम में कार्यरत पीसीएस अधिकारी राजकुमार मित्तल के पिता गोपाल मित्तल की मौत भी मनमानी एवं लापरवाही के चलते 28 अप्रैल 2021 को अस्पताल में हो गई थी। उन्होंने भी केडी मेडिकल कालेज के खिलाफ उच्च अधिकारियों से लेकर शासन प्रशासन तक शिकायत की थी लेकिन अस्पताल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। इससे परेशान होकर राजकुमार मित्तल ने न्यायालय की शरण ली। जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर केडी मेडिकल कालेज के प्रबंधक अरूण कुमार अग्रवाल सहित दर्जनों चिकित्सकों एवं स्टाफ के खिलाफ थाना छाता में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। राजकुमार मित्तल ने विषबाण न्यूज को बताया कि उनके पिता की मौत के लिए पूर्ण रूप से केडी मेडिकल कालेज का प्रबंधतंत्र एवं स्टाफ जिम्मेदार है। कार्यवाही होने और न्याय मिलने तक वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

वेतन न मिलने से परेशान होकर आत्महत्या करने वाला नयति अस्पताल का कर्मी संतोष कुमार पुंडीर। (फोटो परिजनों द्वारा उपलब्ध कराया गया)

एक तरफ आम जनता के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारी केडी मेडिकल कालेज एवं नयति अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही को लेकर जंग लड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उप्र सरकार के केबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण, जिलाधिकारी, एसएसपी मथुरा द्वारा केडी मेडिकल कालेज के चेयरमैन रामकिशोर अग्रवाल को सम्मानित किए जाने के फोटो सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होते रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कैबिनेट मंत्री द्वारा केडी मेडिकल कालेज के संचालक को अपना नजदीकी बताए जाने की खबरें प्रकाशित होने के बाद पीड़ित आरोप लगा रहे हैं कि सरकार और प्रशासन का हॉस्पिटलों को पूर्ण संरक्षण होने के कारण दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होने की उम्मीद दूर दूर तक नहीं है।

 इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन के अध्यक्ष रजतनारायण ने पीएम केयर्स फंड से मथुरा में आए वेंटिलेटर्स को निजी अस्पतालों को दिए जाने की शिकायत की है। उनका कहना है कि मथुरा में प्रशासन और शासन के गठजोड़ कर अस्पतालों द्वारा आम आदमियों को लूटा जा रहा है। वह इस मामले में हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट तक शिकायत करेंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।