पीएम केयर्स फंडः वेंटीलेटर घोटाले की जिन्न आया बाहर, सीएम से की जांच की मांग

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मथुरा। कोरोना महामारी के लिए पीएम केयर्स फंड से आए करीब 2 दर्जन वेंटीलेटर्स घोटाले का जिन्न बाहर निकल कर आ गया है। घोटाला सामने आते ही निजी हाॅस्पिटल संचालकों द्वारा यह वेंटीलेटर सीएमओ कार्यालय को लौटाने का सिलसिला जारी है। इस मामले की भाजपा नेता द्वारा वेंटीलेटर्स घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है। इस घोटाले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

वर्ष 2020-2021 में कोरोना संक्रमण महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार के पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। इस फंड से मथुरा के सरकारी अस्पतालों के लिए 2 दर्जन वेंटीलेटर्स भेजे गए थे। जबकि जिला प्रशासन एवं सीएमओ कार्यालय ने घोटाला करते हुए इन वेंटीलेटर्स को सरकारी चिकित्सालयों की जगह निजी मेडिकल कालेज एवं अस्पतालों को दे दिए। इस घोटाले का खुलासा होने के बाद केडी मेडिकल कालेज द्वारा आनन-फानन में 13 वेंटीलेटर्स वापस कर दिए गए। सीएमओ कार्यालय द्वारा 2 वेंटीलेटर्स रामकृष्ण मिशन अस्पताल, 2 वेंटीलेटर केएम मेडिकल कालेज, 2 वेंटीलेटर स्वर्ण जयंती अस्पताल एवं 1 वेंटीलेटर सौ शैया अस्पताल वृंदावन को दिए जाने का दावा किया गया।

जबकि सूत्रों की मानें तो रामकिशन मिशन अस्पताल और स्वर्ण जयंती अस्पताल द्वारा जहां वेंटीलेटर्स मिलने के दावों को खारिज किया जा रहा है। वहीं केएम मेडिकल कालेज द्वारा अभी तक कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। सौ शैया अस्पताल वृंदावन द्वारा भी वेंटीलेटर मिलने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गोवर्धन चौराहा स्थित एक निजी अस्पताल और गोकुल बैराज मोड़ स्थित एक अन्य निजी अस्पताल को भी वेंटीलेटर्स दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र यह भी बताते हैं कि उक्त वेंटीलेटर्स किराए पर नहीं दिए गए थे वरन् इन्हें मोटी रकम लेकर अधिकारियों द्वारा बेचा गया था। बताया जाता है कि 1 वेंटीलेटर की कीमत करीब 3 लाख रूपए है। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो एक बड़ा घोटाला कोरोना महामारी के नाम पर सामने आ सकता है।

भाजपा कार्यकर्ता संजय गोविल

भाजपा कार्यकर्ता संजय गोविल ने गुरूवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पीएम केयर्स फंड में आए उपकरणों को मथुरा जिलाधिकारी एवं सीएमओ द्वारा निजी मेडिकल संस्थानों को दिए जाने की शिकायत की है। जन प्रतिनिधियों की बैठक में अवगत कराया गया था कि 10 वेंटीलेटर्स आए थे जो कि निजी मेडिकल संस्थानों को दे दिए गए। जबकि निजी संस्थान ने बुधवार को 13 वेंटीलेटर्स प्रशासन को वापस किए गए हैं। संजय गोविल की मानें तो पीएम केयर्स फंड से 25-30 वेंटीलेटर्स मथुरा की जनता के लिए निशुल्क सेवा के लिए उपलब्ध कराए गए थे। जोकि अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट आचरण के तहत उक्त वेंटीलेटर्स निजी मेडिकल संस्थानों को धनोपार्जन के लिए दे दिए। इनके माध्यम से पीड़ित मरीजों से लाखों की धनराशि वसूली गई। यदि यह सरकारी अस्पताल में लगाए जाते तो वहां आने वाले गरीब मरीजों को इनका लाभ निशुल्क मिल पाता। उन्होंने इस घोटाले की जांच अविलंब करा कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए उनके द्वारा की गई कमाई की रिकवरी करते हुए उस राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने की मांग की गई है।

इस संबंध में सीएमओ मथुरा डाॅ. रचना गुप्ता ने बताया कि यह मामला उनके कार्यकाल से पूर्व का है। न तो उनके सामने वेंटीलेटर्स मथुरा जनपद को मिले हैं और न ही उनके द्वारा यह किसी अन्य को दिए गए हैं। यह प्रकरण अब उनकी जानकारी में आया है। अब इसकी जांच कराई जा रही है। जो भी इस मामले में संलिप्त होंगे। उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

विवादों से घिरा रहा है केडी मेडिकल कालेज
पीएम केयर्स फंड से आए वेंटीलेटर्स घोटाले के आरोपों में फंसे केडी मेडिकल कालेज और सीएमओ कार्यालय की सांठगांठ एक बार फिर उजागार हो गई है। इससे पूर्व 2020 में भी कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए केडी मेडिकल कालेज को कोविड सेंटर बनाया गया था। जिसमें तमाम मरीजों ने अव्यवस्थाओं के आरोप लगाए थे। साथ ही गंभीर संक्रमित मरीजों से मनमानी वसूली के भी आरोप लगे थे लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन आरोपों और शिकायतों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बीते दिनों भी धौलीप्याऊ मथुरा निवासी हेमलता अग्रवाल के पति अशोक अग्रवाल द्वारा हेमलता की मौत होने के बाद केडी मेडिकल कालेज पर उपचार के नाम पर 6.75 लाख रूपए वसूलने के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में हंगामा मचने पर 3 लाख रूपए की राशि वापस कर दी गई। इसी तरह अन्य कई मरीजों ने भी 6 से लेकर 10 लाख रूपए की वसूली करने के आरोप अस्पताल पर लगाए थे। इसकी शिकायत शासन प्रशासन तक होने पर जिलाधिकारी मथुरा द्वारा जांच के आदेश दिए गए। इसके लिए आईएएस दीक्षा जैन एवं डाॅ. आलोक कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। सूत्र बताते हैं कि जांच टीम गठित होने के बाद जहां केडी मेडिकल कालेज के प्रबंध तंत्र ने पीड़ितों को राशि लौटाकर अपने पक्ष में वीडियो और पत्र जारी कराए। वहीं दूसरी तरफ करीब एक दर्जन पीड़ितों ने जांच अधिकारी के सामने अपने बयान दर्ज कराए। अभी तक जांच रिपोर्ट जिला अधिकारी को सौंपे जाने की पुष्टि नहीं हो सकी है। अब देखना होगा कि वेंटीलेटर्स घोटाले में घिरे केडी मेडिकल कालेज के खिलाफ शासन प्रशासन क्या कार्यवाही कर पाता है!

गत वर्ष भी हुआ था घोटाला, कर दिया रफा-दफा
जानकार सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2020 में भी जन प्रतिनिधियों द्वारा अपनी-अपनी निधियों से सीएमओ कार्यालय को कोविड से निपटने के लिए 1 करोड़ 39 लाख रूपए की धनराशि दी गई थी। जिसमें इस राशि से खरीदे गए सामान को भी बाजार से ऊंची दरों पर खरीद कर बड़ा घोटाला किया गया था। इस मामले का खुलासा होने पर जांच भी कराई गई थी लेकिन इस घोटाले पर भी पर्दा डाल दिया गया। जिससे घोटाले बाजों के हौंसले बुलंद हो गए और उन्होंने एक बार फिर घोटाले को अंजाम दे दिया।

विपक्ष कहिनः-
सपा नेता प्रदीप चौधरी सरकारी धनराशि से आए 20 वेंटीलेटर्स में से 19 निजी अस्पताल संचालकों एवं 1 वेंटीलेटर सरकारी अस्पताल को दिया गया गया। जो खुलेआम सरकारी धन की लूट है। बल्कि सरकारी वेंटीलेटर्स के माध्यम से निजी अस्पताल संचालकों द्वारा मरीजों से उपचार के नाम पर लाखों की धनराशि वसूली जा रही है। सपा नेता ने जनपद के ऊर्जा मंत्री सहित भाजपा के अन्य जन प्रतिनिधियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच और सख्त कार्यवाही की मांग की है।

कांग्रेस के पूर्व विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि जब लोग कोरोना बीमारी से जूझते हुए चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ रहे थे। तब जिला चिकित्सालय मथुरा और न सौ शैया अस्पताल वृंदावन में न तो आक्सीजन की व्यवस्था थी और न ही वेंटीलेटर्स की। इससे तमाम लोगों ने महामारी से जूझते हुए दम तोड़ दिया। ऊर्जा मंत्री जनपद में भ्रमण करते रहे लेकिन उन्हें किसी भी सरकारी अस्पताल में अव्यवस्थाएं नजर आई और न ही उन्हें आॅक्सीजन अथवा वेंटीलेटर्स की कमी दिखी। उनके इस सत्ता पक्षीय चश्मे के चलते जनपद के लोग जान गंवाते रहे।