फिल्म-रंगमंच कलाकारों का सारथी परिवार ने किया सम्मान, 3000 कलाकारों के साथ कर चुके हैं थिएटर

0
1407
फिल्म-रंगमंच कलाकार देव फौजदार सहित उनके साथियों का सम्मान करते हुए सारथी संस्था के सचिव मफतलाल अग्रवाल सहित अन्य।

मथुरा। नाट्यकिरण मंच मुंबई (मां स्टूडियो) के संस्थापक, मुंबई रंग महोत्सव के आयोजक एवं फिल्मी कलाकार देव फौजदार (दिनेश) का गत दिवस सारथी संस्था द्वारा स्थानीय कार्यालय पर सम्मान किया गया। अपनी पत्नी के साथ ब्रजभूमि आए देव फौजदार ने अपने रंगमंच कैरियर और घुमंतु कार्यशाला के अनुभव साझा करते हुए अपनी आगामी योजनाओं के बारे में बताया।

सारथी संस्था के डीडी प्लाजा स्थित कार्यालय पर अपनी पत्नी के साथ आए फिल्मी कलाकार एवं रंगमंच कर्मी देव फौजदार उनके साथ आई टीम का सारथी संस्था के सचिव मफतलाल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष उमेशचंद गर्ग, प्रधानाचार्य बदन सिंह चौधरी, जतिन नौहवार एवं ललित अग्रवाल ने राधा-कृष्ण का छविचित्र भेंट कर एवं दुपट्टा पहनाकर स्वागत एवं सम्मान किया। यहां बातचीत के दौरान फिल्मी कलाकार देव फौजदार (दिनेश) ने बताया कि वह मूलतः मथुरा जिले के कस्बा बाजना से हैं। उन्हें भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय से छात्रवृत्ति और जूनियर फेलोशिप से सम्मानित किया गया है।

इसके साथ ही उन्हें रंगमंच की सेवा के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल और निवर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा वागधारा यंग अचीवमेंट अवार्ड भी मिल चुका है। उन्होंने बताया कि वह देश के अधिकांश हिस्सों में विभिन्न संगठनों के साथ थिएटर वर्कशॉप कर चुके हैं। जिसमें देश के लगभग 3000 हजार कलाकारों ने भाग लिया है। ’खिड़की के उस पार’ नामक 2 नाटकों का संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है। नए प्रकाशित नाटकों में शहीद चंद्रशेखर आजाद पर लिखा गया देश का पहला नाटक ’अंदाज-ए-आजाद’ प्रमुख है।

देव फौजदार ने बातचीत में बताया कि फिलहाल वह घुमंतु रंगमंच कार्यशाला के माध्यम से अपनी पत्नी के साथ बुलेट बाइक से देश के कोने-कोने में घूम घूमकर अभिनय, सनातन एवं योग के सूत्र समझा रहें हैं। अपनी संस्कृति सभ्यता के माध्यम जीवन को सहज सरल बनाने के कुछ अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने कहा कि रंगमंच केवल अभिनय ही नहीं बल्कि सामाजिक जीवन में भावनात्मक जुड़ाव, सामाजिक जिम्मेदारियों और अनुशासन का सूत्र भी है, जो हमें प्रकृति, मानव और समाज से जोड़ता है। इसी भावना से घुमंतू रंगमंच कार्यशाला का उद्देश्य रंगमंच से देश और समाज को एकजुट करना है।

देव फौजदार ने कहा कि थिएटर के माध्यम से उनकी कोशिश फिर से अपनी जड़ों को खंगालने की है। रंगमंच के माध्यम से सामाजिक जीवन में रंगमंच के महत्व को समझाना और उस पर प्रकाश डालना चाहते हैं। जाति धर्म क्षेत्र से परे मानवता के मूल सूत्र से मोहब्बत से अवगत कराना इस कार्यशाला का मूल मंत्र है। कहा कि उनकी कोशिश अंधेरे में भटकते जुगनुओं को एकत्रित कर एक प्रकाशमय जीवन तराशने की है।

अपनी घुमंतू कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस कार्यशाला के टोटल 300 चरण हैं। एक चरण में 6 शहर हैं। इस तरह कुल 1800 शहर में जाकर मुफ्त में कार्यशालाएं आयोजन करनी हैं। 7 शहर की कार्यशालाएं सम्पन्न हो चुकी हैं। जिनमें मुंबई, सूरत, बड़ोदरा, अहमदाबाद, उदयपुर, भीलवाड़ा, जयपुर और मथुरा शामिल हैं। मथुरा में उन्होंने 18 कलाकारों के साथ कार्यशाला आयोजित की। ब्रज भूमि से जुड़े होने और यहां मिलने वाले सम्मान के लिए देव फौजदार ने स्थानीय जनता को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया। इस दौरान विजय भारद्वाज, आकाश शर्मा, विकास शर्मा, शालिनी आनंद, सचिन चतुर्वेदी, नकुल चतुर्वेदी, रवि शर्मा सहित अन्य मौजूद रहे।