क्या रालोद का सहारा लेकर मथुरा में अखिलेश दौड़ा पाएंगे साइकिल…

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जयंत चौधरी-अखिलेश यादव

मथुरा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुलंदियों का परचम फहराने वाली समाजवादी पार्टी मथुरा में अपने राजनीतिक वजूद के लिए तीन दशक बाद भी तरसती नजर आ रही है। इस बार सपा और रालोद के गठबंधन जनपद में कितना कामयाब हो पाएगा। यह तो चुनाव परिणाम ही तय करेंगे लेकिन सपा की साइकिल दौड़ाने के लिए शनिवार को अखिलेश यादव  रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मथुरा में आ रहे हैं।

जनपद की राजनीति में निचले पायदान पर खड़ी समाजवादी पार्टी एक बार फिर 2022 के विधानसभा चुनावों में रालोद गठबंधन के साथ सक्रिय नजर आ रही है लेकिन यह गठबंधन कितना कारगर होगा, यह तो 10 मार्च को मतदान के दिन ही पता लगेगा। लेकिन विगत राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो जनपद की अब तक की राजनीति में सपा प्रत्याशी विधानसभा चुनावों में असफल ही साबित हुए हैं।

वर्ष 1992 में मुलायम सिंह यादव द्वारा स्थापित की गई समाजवादी पार्टी ने 1993 के विधानसभा चुनावों में बसपा पार्टी के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन में मथुरा की छह सीटों में तीन-तीन सीटों का आपस में बंटवारा हुआ था। इसमें मथुरा सीट से सपा के ठा. ब्रजेश सिंह को मैदान में उतारा लेकिन वह 7031 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। जबकि भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा 55138 वोट लेकर विजयी घोषित हुए थे।

इसी चुनाव में गोकुल विधानसभा सीट से चौधरी सरदार सिंह 22145 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। यहां से भाजपा के चौधरी प्रणतपाल सिंह 29999 वोट लेकर विधायक बने थे। सादाबाद सीट पर सपा के भूप सिंह बघेल 30694 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे और जनता दल के बिशंभर सिंह ने 31121 वोट लेकर जीत हासिल की थी। जबकि गोवर्धन से बसपा के भगवान सिंह 9467 मत के साथ चौथे स्थान पर रहे। छाता सीट पर बसपा के मो. मकसूद 11372 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। जबकि जनता दल के ठाकुर तेजपाल सिंह 37154 वोट के साथ विजयी रहे। मांट सीट से बसपा के हर्ष कुमार बघेल 12911 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे।

मांट विधानसभाः क्या सती के श्राप से न जीत सका कोई स्थानीय जाट नेता ?

वर्ष 1996 में सिर्फ एक सीट छाता विधानसभा से समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ी। छाता विधानसभा से सपा प्रत्याशी ठाकुर तेजपाल सिंह 32561 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के चौ. लक्ष्मीनारायण 48426 मत लेकर चुनाव जीते। जबकि मांट, मथुरा, गोकुल, सादाबाद एवं गोवर्धन सीट पर सपा के किसी प्रत्याशी ने चुनाव नहीं लड़ा था।

वर्ष 2002 में गोवर्धन विधानसभा सुरक्षित से सपा के प्रताप सिंह चुनाव लड़े और 6801 मत के साथ छठे स्थान पर रहे और जमानत गंवा बैठे। यहां भाजपा के श्याम सिंह अहेरिया 34873 वोट लेकर विजयी रहे। मथुरा सीट पर सपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा ’रामगुरू’ को 3187 मत के साथ चौथे स्थान पर रहते हुए अपनी जमानत भी गंवा बैठे। मांट सीट से सपा के कन्हैयालाल अग्रवाल को 908 मत लेकर पांचवे स्थान पर खिसक गए और अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। गोकुल विधानसभा सीट पर शशिपाल सिंह 6014 मत के साथ चौथे स्थान पर रहे। इन्हें भी अपनी जमानत गंवानी पड़ी। जबकि मथुरा से अलग हो चुकी सादाबाद विधानसभा सीट पर सपा के अनिल चौधरी 41896 वोट लेकर रालोद के प्रताप सिंह 41972 से मात्र 76 वोटों से चुनाव हार गए थे। जबकि छाता सीट पर सपा ने चुनाव नहीं लड़ा था।

वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने फिर किस्मत आजमाई। जिसमें गोवर्धन सुरक्षित सीट पर सपा के श्याम सिंह को 6122 मत प्राप्त हुए और अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। इस सीट पर रालोद के पूरन प्रकाश 43952 मत लेकर विजयी घोषित हुए थे। मथुरा विधानसभा सीट पर जनपद की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले एवं मांट क्षेत्र के विधायक श्यामसुंदर शर्मा के भाई कृष्ण कुमार शर्मा उर्फ मुन्ना भैया ने चुनाव लड़ा था। जिसमें इन्हें 17363 मत प्राप्त कर चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा।

इस चुनाव में कांग्रेस के प्रदीप माथुर 45383 मत लेकर चुनाव जीते थे। छाता सीट से सपा प्रत्याशी गोविंद सिंह चुनाव लड़े और 8950 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे। यहां से बसपा के चौ. लक्ष्मीनारायण 55591 मत लेकर विजयी रहे। वहीं गोकुल सीट से सपा के भूप सिंह 4664 मत लेकर चौथे स्थान पर रहे। इस सीट पर बसपा के राजकुमार रावत ने 48911 वोट लेकर चुनाव जीता था। मांट सीट पर किसी प्रत्याशी ने चुनाव नहीं लड़ा था।

वर्ष 2012 के चुनावों में छाता सीट से सपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष लोकमणि कांत जादौन ने किस्मत आजमाई और इन्हें मात्र 5628 मत ही हासिल हुए और इन्हें अपनी जमानत गंवानी पड़ी। इस विधानसभा सीट पर रालोद के ठाकुर तेजपाल सिंह 94757 वोट लेकर चुनाव जीता था। मांट सीट पर पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा के पुत्र संजय शर्मा ने सपा से चुनाव लड़ा और उन्हें मात्र 1056 मत ही प्राप्त हुए। इस चुनाव में रालोद के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मथुरा का सांसद रहते हुए 87062 मत के साथ जीत हासिल की थी और जनपद की राजनीति के चाणक्य श्यामसुंदर शर्मा 71007 को 16055 मतों से हरा दिया था और श्यामसुंदर शर्मा को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था।

गोवर्धन से सपा के महाराजा ग्रुप के चेयरमैन प्रीतम सिंह प्रमुख ने चुनाव लड़ा और यह भी सपा की नैया को पार नहीं लगा सके। यह मात्र 12506 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे। मथुरा सीट पर सपा से बाल रोग विशेषज्ञ एवं समाजसेवी डॉ. अशोक अग्रवाल को मैदान में उतारा गया। श्री अग्रवाल को जिताने के लिए अखिलेश यादव द्वारा शहर में सभाएं की गई थीं। इसके बाद भी सपा प्रत्याशी 53049 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। बलदेव सुरक्षित सीट पर सपा प्रत्याशी अनिल कुमार चुनाव लड़े और 10145 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे।

मांट विधानसभा में आज तक न जला दीपक न खिल सका कमल

वर्ष 2012 में हुए चुनावों के बाद प्रदेश में सपा की सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ बनी थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे। उसी दौरान मांट विधानसभा पर रालोद के जयंत चौधरी द्वारा सांसद होने के चलते दिए गए इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश के नजदीकी संजय लाठर को मांट सीट पर चुनाव लड़ाया था। संजय लाठर को चुनाव जीतने के लिए अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी कद्दावर मंत्रियों एवं कार्यकर्ताओं का जमावड़ा मांट क्षेत्र में एकत्रित कर दिया था। साथ ही सीएम द्वारा श्री लाठर को जिताने के लिए खुद भी रैली की थी। इसके बाद भी श्री लाठर सपा प्रत्याशी के रूप में 50839 मत लेकर तीसरे स्थान पर रह गए और इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पं. श्यामसुंदर शर्मा ने 67457 मत लेकर जीत हासिल की थी। चंद माह पूर्व ही हुए आम विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी संजय शर्मा को मिले 1056 मत के मुकाबले करीब 50 हजार मत अधिक सत्ता के प्रभाव में हासिल तो हुए लेकिन जीत नहीं मिल सकी।

जबकि गत 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन हुआ। इस चुनाव में गोवर्धन विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रणवीर पांडव चुनाव लड़े और मात्र 5943 मत लेकर चौथे स्थान पर रहे। मथुरा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी एवं सिटिंग विधायक प्रदीप माथुर भाजपा के श्रीकांत शर्मा से एक लाख से अधिक मतों से बुरी तरह हारे। मांट से कांग्रेस के जगदीश नौहवार 13270 मत के साथ चौथे स्थान पर रहे। छाता सीट से सपा के खाते में तो आई लेकिन सिंबल न मिलने के कारण पूर्व मंत्री तेजपाल सिंह के पुत्र अतुल सिंह सिसौदिया निर्दलीय चुनाव लड़े और 53699 मत के साथ दूसरे स्थान पर रहे। बलदेव विधानसभा सीट से सपा के रणवीर सिंह को मात्र 8893 मत ही हासिल हुए और चौथे स्थान पर रहे।

लगातार विधानसभा चुनावों में हार का सामना करती आ रही सपा एक बार फिर रालोद गठबंधन के साथ मथुरा की राजनीति में पैर जमाने के प्रयास में जुटी है। गठबंधन के तहत सपा को मथुरा की 5 में से 2 सीटें मथुरा-वृंदावन विधानसभा और मांट विधानसभा मिली हैं। जबकि गोवर्धन, छाता और बलदेव सुरक्षित रालोद के खाते में गई हैं। सपा के खाते वाली सीटों में मथुरा-वृंदावन विधानसभा सीट से सादाबाद के पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल और मांट विधानसभा सीट से अखिलेश यादव के नजदीकी व एमएलसी डॉ. संजय लाठर प्रत्याशी हैं। जबकि रालोद के खाते से छाता विधानसभा से पूर्व मंत्री ठा. तेजपाल सिंह, गोवर्धन विधानसभा से प्रीतम सिंह और बलदेव सुरक्षित सीट से बबीता जाटव चुनाव मैदान में हैं।

हालांकि मांट सीट पर रालोद और सपा में दावेदारी को लेकर पहले असमंजस और फिर विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी लेकिन दोनों दलों के मुखिया ने समझदारी से इस विरोध को खत्म कर दिया। अब कल 05 जनवरी शनिवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव व रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी मांट विधानसभा क्षेत्र में डॉ. लाठर के पक्ष में प्रचार करने के लिए आ रहे हैं। ताकि अपने प्रत्याशी को जिताया जा सके। साथ ही गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र के सौंख क्षेत्र में भी अखिलेश-जयंत की जोड़ी गठबंधन प्रत्याशी प्रीतम सिंह के लिए प्रचार प्रसार करेंगे।

इससे पूर्व 2012 के उपचुनाव में भी सपा मुखिया अखिलेश यादव ने डॉ. लाठर को मांट सीट से जिताने के लिए काफी प्रयास किया था। मांट में आकर प्रचार भी किया था लेकिन उस समय डॉ. लाठर चुनाव हार गए थे। अब देखना होगा कि गठबंधन की नाव पर सवार सपा 2022 के विधानसभा चुनाव में जनपद की राजनीति में अपनी साइकिल दौड़ाने में कितनी सफल साबित हो सकती है।