अफसरों का खेल-पीड़ितों को जेल, अब सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

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मथुरा। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानीय दबंगों के साथ मिलकर परेशान किए जा रहे एक पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित की स्पेशल लीव पिटीशन को मंजूर कर लिया है। पीड़ित के अधिवक्ता द्वारा उप्र के मुख्य सचिव, गृह सचिव सहित अन्य अधिकारियों को पत्र भेजकर इससे अवगत कराते हुए केस के डिस्पोजल न होने तक पीड़ित के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही न करने का निवेदन किया है। पत्र मिलते ही अधिकारियों में खलबली मच गई है। विदित हो कि स्थानीय दबंगों के साथ मिलीभगत करते हुए पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने पीड़ित गुलशन गुप्ता और उनके परिजनों को ही चौथ वसूली का आरोपी बना दिया था। इससे पहले पीड़ित ने उक्त अधिकारियों पर लूट करने और दुकान में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया था। इससे अधिकारी उसे परेशान कर रहे हैं।


कस्बा सुरीर निवासी गुलशन गुप्ता का आरोप है कि वर्ष 2017 के नवंबर माह में वह अपनी बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान पर बैठे हुए थे। इसी दौरान तत्कालीन एसडीएम वरुन कुमार पांडेय, तत्कालीन तहसीलदार राकेश सोनी, क्षेत्राधिकारी राकेश कुमार सहित ग्राम प्रधान मुरारीलाल, पूर्व प्रधान योगेश शर्मा, मोहन श्याम शर्मा तथा गांव के देवेंद्र, अजीत, किशन, महमूद आदि 4-5 पुलिस कर्मियों के जेसीबी मशीन को लेकर पहुंचे और बगैर कोई आदेश या कानूनी नोटिस दिये तोड़-फोड़ शुरू कर दी। जब इसका विरोध किया तो पूर्व प्रधान योगेश ने हवाई फायर कर दहशत फैला दी। इसके बाद दुकानों में रखे 50 बोरा सीमेंट सहित ईंट, बदरफुट सहित 4 लाख की सामग्री लूटपाट कर ट्रैक्टर, ट्राली में भरकर ले गये।

फाइल फोटो

इसकी शिकायत पीड़ित ने शासन-प्रशासन से की लेकिन कोई कार्यवाही ना होने पर पीड़ित ने रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये मथुरा न्यायालय में शरण ली लेकिन न्यायालय ने 156 (3) की स्थान पर कम्प्लेन्ट केस दर्ज किया तो पीड़ित ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली। इसमें उच्च न्यायालय ने मथुरा न्यायालय को पीड़ित की याचिका पर गंभीरता से निस्तारण के आदेश दिए। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) संजय यादव ने मामले की सुनवाई करते हुए एसडीएम वरूण कुमार पाण्डेय, सीओ राकेश कुमार, तहसीलदार राकेश सौनी सहित एक दर्जन लोगों के विरूद्ध थाना सुरीर पुलिस को 4 लाख की लूट, तोड़फोड़, जान से मारने सहित अन्य संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर विवेचना के निर्देश दिए।

इस प्रकरण में स्थानीय दबंगों में शामिल किशन के साथ मिलकर अधिकारियों ने एक नई चाल चलते हुए पीड़ित गुलशन गुप्ता और उनके परिजनों के खिलाफ चौथ वसूली का मुकदमा लिखा दिया। गुलशन गुप्ता का आरोप है कि अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर खिसियाए अधिकारियों ने उन पर चौथ वसूली का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे में अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन पुलिस ने उन पर दर्ज कराए गए चौथ वसूली के झूठे मुकदमे में कार्यवाही करते हुए उनके दो भाईयों को बिना वारंट के ही गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया। अधिकारियों के शोषण से परेशान होकर पीड़ित गुलशन ने अब सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई स्पेशल लीव पिटीशन को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए पंजीकृत कर लिया है। जुलाई माह में इस प्रकरण में सुनवाई होनी है। इससे पहले याचीकर्ता गुलशन गुप्ता के अधिवक्ता अजातशत्रु ने मुख्य सचिव उप्र, गृह सचिव उप्र, डीजीपी उप्र, जिलाधिकारी मथुरा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मथुरा को पत्र भेजकर केस के डिस्पोजल होने तक पीड़ित के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही न करने का निवेदन किया है।