ब्लैक स्टोन कालेज की जमीन बेचना पड़ा भारी, मैनेजर पर गिरी गाज

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मथुरा। ब्लैक स्टोन गर्ल्स इंटर कालेज में प्रबंधन द्वारा वर्षां से लगातार की जा रही अनियमितताओं पर आखिरकार मंडलीय शिक्षा निदेशक की कुंभकर्णी नींद खुल ही गई। प्रबंधक पर कालेज की जमीन को खुर्द बुर्द करने, वेतन अनियमितता, वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। इन आरोपों को सदस्यीय टीम द्वारा प्रथमदृष्टया जांच में सही भी पाया गया है। इसके चलते मंडलीय शिक्षा निदेशक ने कालेज प्रबंधक को हटाकर प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त कर दिया है। ताकि कालेज का काम सुचारु रुप से चलता रहे।
शहर के नामी अल्पसंख्यक कालेजों में से एक ब्लैक स्टोन गर्ल्स इंटर कालेज इन दिनों लगातार विवादों में घिर रहा है। इनमें अवैध तरीके से शिक्षक भर्ती, कालेज की जमीन को खुर्द बुर्द करने, अनियमित रुप से नियुक्त की गई शिक्षिका को लगातार वेतन जारी करने सहित अन्य वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताएं शामिल हैं। अब यह कालेज प्रबंधन पर कालेज की जमीन को अवैध रुप से बेचने, शिक्षिकाओं एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन जारी न करने, एक शिक्षिक को गलत तरीके से लगातार कई वर्षां से वेतन देने सहित अन्य अनियमितताओं के आरोपों को लेकर चर्चा में है।

आरोप है कि प्रबंधक बिमला लाल ने कालेज की करीब 7 एकड़ जमीन को भूमाफियाओं को 83 लाख रुपए में बेच दिया था। इसके लिए न तो विभागीय अनुमति ली गई और न ही जमीन बेचने से मिले रुपयों को कालेज के खाते में जमा किया गया। बिक्री की गई इस जमीन पर खेल का मैदान, पुस्तकालय और प्रधानाचार्य आवास बना हुआ है। इससे कालेज की मान्यता प्रत्याहरित की संभावना उत्पन्न हो गई है। दूसरा आरोप है कि प्रबंधक द्वारा हठधर्मिता दिखाते हुए कालेज की शिक्षिकाओं-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का मार्च-अपै्रल माह के वेतन बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए गए। इससे न तो वह आयकर विवरणी भर पाए और न ही टीडीएस जमा कर पाए। इससे उन्हें अर्थदंड भी भरना पड़ सकता है। तीसरा आरोप है कि एक शिक्षिका की नियुक्ति जांच में अवैध पाई गई थी क्योंकि शिक्षिका के पास नियुक्ति के समय आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं थी। जांच के बाद शिक्षिका को वेतन जारी न करने की संस्तुति की गई थी लेकिन उक्त शिक्षिका को अब तक लगातार वेतन मिल रहा है। जबकि इनकी सेवा ही समाप्त की जानी चाहिए थी। इन आरोप को लेकर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर प्रबंधक बिमला लाल के खिलाफ जांच करने के लिए डीआईओएस ने दो सदस्यीय टीम को गठित किया था। इसमें राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दघेंटा के प्रधानाचार्य अखिलेश यादव और राजकीय उमा विद्यालय विबावली के प्रधानाचार्य संदेश कुमार शामिल थे। जांच टीम ने प्रबंधक बिमला लाल को अपना पक्ष रखने के लिए दो बार नोटिस जारी किए लेकिन बिमला लाल ने एक बार भी अपना पक्ष जांच टीम के समक्ष नहीं रखा। इसके बाद टीम ने शिकायतकर्ता की शिकायत और साक्ष्यों के आधार पर प्रबंधक बिमला लाल को दोषी पाते हुए अपनी जांच आख्या डीआईओएस को सौंप दी।

रिपोर्ट के आधार पर मंडलीय शिक्षा निदेशक आगरा अरविंद पांडेय ने प्रबंधक बिमला लाल को दोषी पाते हुए उन्हें प्रबंधक पद से हटा दिया है। साथ ही प्रमोद कुमार प्रधानाचार्य राजकीय उमा विद्यालय बछगांव को प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त कर दिया है। इस आदेश के आते ही कालेज प्रबंधन में खलबली मच गई है। जिला विद्यालय निरीक्षक केपी सिंह ने विषबाण को बताया कि मंडलीय शिक्षा निदेशक के आदेश पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। प्रमोद कुमार को प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त कर दिया गया है। प्रबंधक बिमला लाल का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया गया लेकिन उनका फोन अटेंड नहीं हो सका।

यह है पूरा मामला
मैथोडिस्ट चर्च से संचालित ब्लैक स्टोन गर्घ्ल्स इंटर कॉलेज की स्थापना 1868 में प्राथमिक विद्यालय के रूप में की गई थी। इसके लिए तत्कालीन पादरी जे स्कॉट ने भरतपुर रियासत के महाराज से 7.3 एकड़ जमीन कुल 14000 हजार रुपए में खरीदी थी। वर्ष 1967 में माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद ने संस्था को जूनियर हाईस्कूल और वर्ष 2005 में इंटरमीडिएट की मान्यता प्रदान की। पहली बार विवाद वर्ष 10 मई 2013 में सामने आया। जब कुछ लोग कॉलेज की जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे। मामला बिगड़ा तो जिलाधिकारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को जांच सौंपी। उन्होंने 27 सितंबर 13 को सौंपी रिपोर्ट में माना कि प्रबंधन द्वारा अवैध तरीके से विद्यालय की जमीन को बेच दिया गया है। वर्ष 2016 में शिक्षा निदेशालय से आई टीम ने भी माना कि जमीन का विक्रय कर दिया गया है। जमीन बेचने से प्राप्त धनराशि को विद्यालय के खाते तक में जमा नहीं कराया गया। उप शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को दोषियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराने के निर्देश दिए थे लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है।