डीएम के फर्जी हस्ताक्षर प्रकरण में फंसते नजर आ रहे कथित ‘मीडिया किंग’, जांच शुरु

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मथुरा। अपनी मान्यता के नवीनीकरण कार्ड पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर करने के मामले में मथुरा के कथित मीडिया किंग फंसता नजर आ रहे हैं। शिकायत के बाद डीएम के निर्देश पर इस मामले की जांच शुरु हो गई है। कथित मीडिया किंग कमलकांत उपमन्यु से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है। उपमन्यु ने अपना स्पष्टीकरण जांच अधिकारी को दे दिया है लेकिन इससे जांच अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं।
विषबाण ने अपने पोर्टल पर 26 अपै्रल को ‘मान्यता की हेराफेरी में फंसे पत्रकार कमलकांत, लगा डीएम के फर्जी हस्ताक्षर का आरोप’ शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। समाचार प्रकाशित होते ही पत्रकार जगत के साथ प्रशासनिक अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था। कमलकांत उपमन्यु के खिलाफ मांगी गई आरटीआई में पता लगा था कि वर्ष 2015 में तत्कालीन डीएम राजेश कुमार द्वारा कमलकांत उपमन्यु की मान्यता नवीनीकरण पत्रावली पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसका कारण कमलकांत उपमन्यु पर दर्ज बलात्कार का मुकदमा बताया गया था। तत्कालीन डीएम राजेश कुमार ने पत्रावली पर लिखा था कि कमलकांत के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है। ऐसे में उनकी मान्यता रिन्युअल नहीं की जा सकती है। इसके बाद भी कमलकांत का रिन्युअल मान्यता कार्ड जारी हो गया था। इसमें आरोप है कि इस कार्ड पर तत्कालीन डीएम के फर्जी हस्ताक्षर किए गए।


विषबाण में खबर प्रकाशित होने के बाद कुंदन सिंह नाम के व्यक्ति ने जिलाधिकारी से इस प्रकरण की शिकायत की थी। शिकायत के बाद भी जब इसका संज्ञान नहीं लिया गया तो बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजयपाल तोमर एवं प्रदीप राजपूत के नेतृत्व में कुछ लोगों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर इस फर्जीवाड़े की जांच कराने का अनुरोध किया। दबाव के चलते डीएम को मामले की जांच के आदेश देने पड़े। जांच अधिकारी जिला सूचना अधिकारी सुरजीत सिंह को नियुक्त किया गया। जांच अधिकारी ने गत दिनों फर्जी हस्ताक्षर मामले में कमलकांत उपमन्यु का स्पष्टीकरण मांगते हुए उन्हें नोटिस तामील कराया। जिला सूचना अधिकारी सुरजीत सिंह ने बताया कि कमलकांत उपमन्यु द्वारा डीएम के फर्जी हस्ताक्षर मामले में जिलाधिकारी से कुंदन सिंह नाम के शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी। डीएम से मिले निर्देश के बाद वह मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कमलकांत उपमन्यु से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा। उपमन्यु ने अपना स्पष्टीकरण दे दिया है लेकिन यह आधा अधूरा है। उनसे वर्ष 2015 में जारी हुए मान्यता नवीनीकरण कार्ड की ऑरिजिनल प्रति मांगी गई थी लेकिन उन्होंने फोटो कॉपी मुहैया कराई है। इसके चलते उपमन्यु को एक और नोटिस जारी किया जाएगा। ताकि जांच करने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

इस संबंध में विषबाण ने कमलकांत उपमन्यु का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने फोन कट कर दिया। व्हाट्सएप पर उन्हें मैसेज किया गया। जिसके जवाब में उन्होंने जांच अधिकारी को दिए गए अपने स्पष्टीकरण पत्र को भेज दिया। इसमें उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप मिथ्या और मनगढं़त हैं। कुछेक पत्रकारों की समस्याओं को लेकर उन्होंने जिला सूचना अधिकारी से मुलाकात की थी। इसे लेकर जिला सूचना अधिकारी ने उन पर झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद किसी की झूठी शिकायत पर अब जांच शुरु कर दी गई है। उन्होंने बताया कि डीएम को दिए गए स्पष्टीकरण में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके नवीनीकरण के कार्ड पर तत्कालीन डीएम राजेश कुमार के फर्जी हस्ताक्षर नहीं हैं। यह बात एक झूठी है। इसकी किसी भी तरह से जांच कराई जा सकती है। कहा कि यदि उस समय मेरे द्वारा तत्कालीन डीएम के फर्जी हस्ताक्षर किए गए तो उसके बाद के किसी भी जिला सूचना अधिकारी द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं की गई। फिर जब मान्यता कार्ड मेरे पास है तो फिर जिला सूचना अधिकारी को किस तरह पता लगा कि उस कार्ड पर डीएम के हस्ताक्षर फर्जी हैं। कहा कि मुझ पर गलत और झूठे आरोप लगाए गए हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्हें कुछ गुप्त शत्रुओं द्वारा फंसाने के लिए यह सब प्रपंच रचा जा रहा है।