लिपिक भर्ती पर रोक, प्रबंधकों में हड़कंप, करोड़ों का झटका

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मथुरा। हाईकोर्ट के एक आदेश को आधार बनाकर एडेड माध्यमिक कालेजों में लिपिक की भर्ती करने की प्रबंधकों की उम्मीदों पर सरकार के नए आदेश ने पानी फेर दिया है। शासन ने 3 जून को जारी आदेश में अग्रिम आदेशों तक एडेड माध्यमिक विद्यालयों में लिपिकों की भर्ती पर अपरिहार्य कारणों से रोक लगाते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को आदेश निर्गत कर दिया है। इससे फिलहाल प्रबंधकों के मंसूबों पर पानी फिर गया है।


हाल ही में प्रदेश के गोरखपुर जनपद के एक कालेज की मैनेजमेंट कमेटी ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में क्लास थ्री और क्लास फोर के पदों पर नियुक्ति करने के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कार्मिक विभाग उप्र शासन के वर्ष 2012 में प्रदेश में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं माननीय न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में की गई नियुक्तियों के अतिरिक्त सभी प्रकार की नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगाए लाने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने याचिका का संज्ञान लेते हुए शासन से जवाब मांगा तो शासन के संयुक्त सचिव जयशंकर दुबे ने कोर्ट को जानकारी दी कि कार्मिक विभाग का उक्त आदेश इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट 1921 के संचालित संस्थानों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती पर प्रभावी नहीं है। साथ ही संयुक्त सचिव ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षा निदेशक को भी एक पत्र जारी करते हुए यह जानकारी दी कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं है। हालांकि इस आदेश के पूर्व में एजुकेशन एक्ट में संशोधन करते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार आदेश पारित कर चुकी है कि एडेड शिक्षण संस्थानों में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती आउटसोर्सिंग के माध्यम से ही की जाएगी। इस आदेश के आते ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंध संचालकों की बांछे ही खिल गई। उन्होंने आनन-फानन में अपने चहेतों को भर्ती के लिए तैयार करते हुए लाखों रुपए की वसूली भी कर ली। लेकिन 3 जून को शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग के आए एक आदेश ने उनकी सभी उम्मीदों को पानी फेर दिया है। शिक्षा निदेशक द्वारा किए गए आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अपरिहार्य कारणों से अग्रिम आदेशों तक एडेड विद्यालयों में लिपिकों की भर्ती को स्थगित किया जाता है। यह आदेश प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी कर दिया गया है। इस आदेश से प्रबंध संचालकों द्वारा अभ्यर्थियों से वसूले गए लाखों रुपए अटक गए हैं। अभ्यर्थियों ने अपने रुपए वापस मांगने शुरु कर दिए हैं। वहीं प्रबंधकों द्वारा उन्हें यह कह कर टाला जा रहा है कि आने वाले समय में भर्ती खुल जाएगी तो उनका ही चयन किया जाएगा। हालांकि फिलहाल युवा अभ्यर्थी इस दलील को मान नहीं रहे हैं और अपने पैसे वापस मांगने के लिए प्रबंधकों के चक्कर लगा रहे हैं। डीआईओएस केपी सिंह ने बताया कि शिक्षा निदेशक का लिपिक भर्ती स्थगित किए जाने का आदेश पत्र प्राप्त हो चुका है। इसकी जानकारी भी सभी प्रबंधकों और प्रधानाचार्यां को दे दी गई है। यदि इसके बाद भी कोई प्रबंधक संचालक लिपिक भर्ती करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।