लोकसभा चुनावः “अपनों” ने ढहा दिया “अपनों” का किला

0
1426

मथुरा। लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के लिए राष्ट्रीय लोकदल के साथ अन्य पार्टियों के बागियों ने जमीन तैयार की थी। बागियों के दम पर ही भाजपा ने मथुरा में एक बार फिर अपने प्रतिद्वंदियों को धूल चटाते हुए अप्रत्याशित रुप से बड़ी जीत हासिल की। इसे लेकर मथुरा के मतदाताओं के साथ पार्टी के समर्थकों में भी चर्चा बनी हुई है।
मथुरा में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा ने सिनेस्टार एवं सिटिंग सांसद हेमामालिनी पर ही भरोसा दिखाते हुए अपना प्रत्याशी बनाया था। हालांकि श्रीकांत शर्मा सहित अन्य कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने स्वंय के लिए टिकट मांगते हुए लॉबिंग की थी। इनमें से श्रीकांत शर्मा की टिकट लगभग पक्की भी हो गई थी लेकिन हेमामालिनी के मथुरा सीट से ही चुनाव लड़ने के लिए अड़ जाने के कारण श्रीकांत शर्मा की दाल नहीं गली और भाजपा से हेमा मालिनी को ही चुनावी मैदान में उतारा गया। इसके बाद महागठबंधन से कई नेताओं के नाम प्रत्याशी बनने के लिए चर्चाओं में रहे। इनमें से पत्रकार विनीत नारायण की टिकट लगभग पक्की हो गई थी लेकिन अंत समय में रालोद के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं गोवर्धन से विधानसभा चुनाव लड़े कुंवर नरेंद्र सिंह को ही प्रत्याशी बनाया गया। वहीं कांग्रेस ने भी काफी नेताओं को नकारते हुए उद्योगपति महेश पाठक को उम्मीदवार घोषित किया।

मथुरा से भाजपा द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित होने से काफी पहले ही लोकसभा चुनाव जीतने की तैयारी शुरु कर दी गई थी। योजना बनाते हुए भाजपा नेताओं ने अन्य पार्टियों के जनाधार वाले नेताओं को अपने साथ मिलाने की शतरंजी चाल चलना शुरु कर दिया। भाजपा ने सबसे पहले बसपा के जमीनी नेता और बसपा सरकार में कद्दावन मंत्रियों में गिने जाने वाले छाता के चौ. लक्ष्मीनारायन को अपने साथ मिलाते हुए उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। इसके बाद उन्हें विधानसभा चुनाव से मैदान में उतारा और जीतने पर मंत्री पद से भी नवाजा। इसका लाभ भाजपा को यह मिला कि लोकसभा चुनाव में चौधरी लक्ष्मीनारायन ने अपनी छाता विधानसभा से भाजपा को लगभग 78 हजार की लीड मिली थी। इसके बाद भाजपा ने रालोद के कद्दावर नेता पूरन प्रकाश को भाजपा ज्वाइन कराई और बलदेव से विधायक बनवाया। पूरन प्रकाश ने इसका अहसान भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी को अपनी विधानसभा में लगभग 28 हजार वोटों से जिताया। जबकि महागठबंधन प्रत्याशी कुंवर नरेंद्र सिंह के साथ साथ रालोद को भी यह पूरी उम्मीद थी कि रालोद के गढ़ मिनी छपरौली में कुंवर नरेंद्र सिंह भाजपा प्रत्याशी से काफी बढ़त बना लेंगे लेकिन पूरन प्रकाश ने यह उम्मीद तोड़ दी।

कांग्रेस के पूर्व सासंद कुंवर मानवेंद्र सिंह ने भी चुनाव से ऐन पहले ही भाजपा ज्वाइन की और पूरे मनोयोग से भाजपा को चुनाव जिताने का प्रयास करते हुए खूब प्रचार प्रसार किया। जबकि इससे पहले वह कांग्रेस से ही सांसद रह चुके थे और उनके पुत्र ऋषिराज सिंह ने वर्ष 2017 में रालोद से छाता विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन लोकसभा चुनाव में पिता मानवेंद्र सिंह ने अपने पुत्र ऋषिराज सिंह के साथ मिलकर रालोद प्रत्याशी और अपने ही छोटे भाई कुंवर नरेंद्र सिंह को हराने में दिन रात एक कर दी। निरंजन सिंह धनगर का रालोद ने उनके द्वारा किए गए आंदोलन में पूरा साथ दिया था लेकिन उन्होंने भी भाजपा के साथ मिलकर रालोद को हराने में भूमिका निभाई। रालोद से गोवर्धन विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले ठाकुर मेघश्याम सिंह ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और रालोद प्रत्याशी कुंवर नरेंद्र सिंह को हराने के लिए ठाकुर बिरादरी में जमकर प्रचार करते हुए खूब पसीना बहाया। रालोद के बड़े नेताओं में अपनी पहचान रखने वाले दीपक चौधरी ने भी चुनाव से कुछ समय पहले भाजपा ज्वाइन करते हुए भाजपा को जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने रालोद के बेस वोट बैंक जाट बिरादरी में सेंध लगाने का काम करते हुए यह वोट भाजपा को दिलवाए। यह फेहरिस्त और लंबी हो सकती है क्यांकि कई ऐसे नेता भी रहे जिनका नाम तो अधिक नहीं था लेकिन उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा को अन्य प्रतिद्वंदियों से लीड बनवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस तरह देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी को लगातार दूसरी बार बड़े अंतर से जिताने में भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत के साथ रालोद एवं अन्य पार्टियों के बागियों की भी काफी अहम भूमिका रही।