सरदार पटेल कालेज में घमासान, प्रधानाचार्य-प्रबंधक आमने सामने

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मथुरा। माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहायता प्राप्त विद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं फर्जी कामों और कालेजों में अपना दबदबा बनाने के लिए आए दिन विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। इन विवादों के चलते कई विद्यालयों का माहौल भी खराब हो रहा है। एक ताजा मामला सरदार पटेल इंटर कालेज देवनगर दरबै में सामने आया है। यहां एक महिला चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर आरोप है कि वह सेवानिवृत्ति की आयु बीतने के बाद भी लगातार सेवा दे रही है और बकायदा वेतन भी पा रही हैं। वहीं इसी कालेज के दूसरे मामले में लिपिक चंद्रवीर पर गबन के आरोप भी सिद्ध हो चुके हैं लेकिन अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है।
राया-मांट रोड स्थित सरदार पटेल इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य मोहन सिंह ने कालेज के दो मामलों में भ्रष्टाचार और कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से विभाग को लाखों का चूना लगाए जाने की शिकायत कोर्ट में की है। मोहन सिंह ने विषबाण को बताया कि कालेज में कार्यरत एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरदम की मृत्यु वर्ष 1985 में हो गई थी। इसके बाद हरदम की पत्नी को मृतक आश्रित कोटे से इसी कालेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मी पद पर नियुक्ति कर दी गई। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने अपने आयु संबंधी दस्तावेज कालेज में जमा नहीं कराए। इसके चलते वह अब तक लगातार विभाग से वेतन प्राप्त कर रही हैं। जबकि वैधानिक दस्तावेजों में शामिल मतदाता पहचान पत्र संख्या यूपी74/365/0789070 के अनुसार राजवती की आयु वर्ष 2003 में ही 60 वर्ष पूरी हो चुकी है। जबकि राजवती अभी तक बदस्तूर काम कर रही हैं। इस प्रकार वह अब 76 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कालेज में काम कर रही हैं और बकायदा वेतन भी प्राप्त कर रही हैं। यह एक चौंकाने वाला मामला है। हालांकि इनकी सर्विस बुक में इनकी जन्मतिथि 1 फरवरी 1960 है। इसकी शिकायत पूर्व प्रधानाचार्य मोहन सिंह ने एसएसपी और थाना मांट में की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद शिकायतकर्ता ने कोर्ट की शरण ली। इसमें सुनवाई पूरी हो चुकी है। जल्द ही निर्णय सुनाए जाने की संभावना है। हालांकि इस मामले में डीआईओएस की जांच में आरोपी राजवती को क्लीन चिट मिल चुकी है।
वहीं दूसरी प्रकरण में कालेज में कार्यरत लिपिक चंद्रवीर पर कालेज की फीस सहित अन्य मदों में गड़बड़ी कर यह धनराशि डकारने का आरोप है। विभागीय और प्रबंधन की जांच में भी यह आरोप सिद्ध हो चुके हैं लेकिन कोई भी कार्यवाही न होने से प्रबंधन और विभाग दोनां पर ही प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजवती के पुत्र हरीशचंद्र ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उनकी माताजी राजवती की आयु सर्विस बुक में 01 फरवरी 1960 अंकित है। साथ ही आधार कार्ड और पैन कार्ड में भी यही जन्मतिथि अंकित है। बताया कि डीआईओएस विभाग द्वारा कराई गई जांच में यह शिकायत निराधार पाई गई थी। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता मतदाता पहचान पत्र पर अंकित आयु के आधार पर अधिक बता रहे हैं। जबकि शिकायतकर्ता मोहन सिंह वर्मा की स्वयं मतदाता पहचान पत्र पर अलग आयु अंकित है और सर्विस बुक पर अलग आयु अंकित है। इस तरह देखा जाए तो वह भी गलत ही माने जाएंगे। शिकायत पूरी तरह गलत है।
प्रबंधक वीरपाल सिंह चौधरी ने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी राजवती का मामला न्यायालय में चला गया है। सर्विस बुक में जो उनकी आयु है उसके हिसाब से वह जनवरी 2020 में सेवानिवृत्त होंगी। उन पर कार्यवाही करने का अधिकार प्रधानाचार्य को है। वहीं लिपिक चंद्रवीर के गबन के आरोपों पर प्रबंध समिति ने एक जांच कमेटी गठित की थी। जांच रिपोर्ट में चंद्रवीर पर 2.13 लाख रुपए गबन करने के आरोप सिद्ध हो चुके हैं। साथ ही वित्त एवं लेखाधिकारी की जांच में भी यह आरोप सिद्ध हो चुके हैं। आरोपी लिपिक के खिलाफ डीआईओएस द्वारा भी नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जल्द ही उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
प्रधानाचार्य वीरबहादुर सक्सेना ने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजवती की आयु सर्विस बुक में अंकित आयु के अनुसार ही मानी जाएगी। उसके अनुसार वह आगामी जनवरी माह में सेवानिवृत्त होंगी। उन पर लगे आरोप निराधार हैं।